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Showing posts from August, 2018

Shree Sai Vrat Katha in Hindi

कोकिला बहन और उनके पति महेशभाई शहर में रहते थे । दोनों में एक - दुसरे के प्रति प्रेम - भाव था , परन्तु महेशभाई का स्वाभाव झगडालू था । बोलने की तमीज ही न थी । लेकिन कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी , भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती । धीरे - धीरे उनके पति का धंधा - रोजगार ठप हो गया । कुछ भी कमाई नहीं होती थी । महेशभाई अब दिन - भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली । अब उनका स्वभाव पहले से भी अधिक चिडचिडा हो गया ।   एक दिन दोपहर का समय था । एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए । चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दल - चावल की मांग की । कोकिला बहन ने दल - चावल दिये और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया , वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखे । कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख मेरी किस्मत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन किया ।

Shri Rama Vandana Sanskrit hindi font

आपदामपहरत्ताराम दातारं सर्वसम्पदाम् I लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यमहम् II रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय मानसे I रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः II नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतसमारोपतिवामभागम I पाणौ महासायक चारु चापं नमामि रामं रगुवंशनाथम् II भवाब्धिपोतं भारताग्रजंतं भक्तप्रियं भानुकुल प्रदीपम्   I भूतादिनाथं भुवनाधिपत्यम् भजामि रामं भवरोग वैद्यम्   II लोकाभिरामं रणरंगधीरम् राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम   I कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्री रामचंद्रम् शरणं प्रपद्ये   II

Shri Guru Vandana Arati Hindi

ऐ मेरे गुरुदेव करुणा सिंधु करुणा कीजिये   I हूँ अधम आधीन अशरण , अब शरण में लीजिये I ऐ मेरे गुरुदेव करुणा सिंधु करुणा कीजिये   I हूँ अधम आधीन अशरण , अब शरण में लीजिये I ऐ मेरे गुरुदेव करुणा सिंधु करुणा कीजिये   I

Om Jay Jagdish Hare in Hindi

ॐ    जय   जगदीश   हरे   ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट , दास जनों के संकट , क्षण में दूर करे ||   जो ध्यावे फल पावे , दुख बिनसे मन का स्वामी दुख बिनसे मन का सुख सम्पति घर आवे , कष्ट मिटे तन का || ॐ जय जगदीश हरे || मात पिता तुम मेरे , शरण गहूं मैं किसकी स्वामी शरण गहूं मैं किसकी तुम बिन और न दूजा , आस करूं मैं जिसकी || ॐ जय जगदीश हरे || तुम पूरण परमात्मा , तुम अंतरयामी स्वामी तुम अंतरयामी पारब्रह्म परमेश्वर , पारब्रह्म परमेश्वर , तुम सब के स्वामी || ॐ जय जगदीश हरे ||

Shree Ambe Durga Ji Aarti in Hindi

जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी I तुमको निशदिन ध्यावत हरी ब्रह्मा शिवजी II मांग सिन्दूर विराजत टीको मृगमद को I उज्जवल से दोउ नैना चन्द्रवदन नीको II कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे I रक्तपुष्प गल माला कण्ठन पर साजे II केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी I सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुःख हारी II कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती I कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति II शुम्भ निशुम्भ बिदारे महिषासुर घाती I धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती   II चंड मुंड संहारे शोणित बीज हरे   I मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे II ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी I आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी II चौसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरू I बाजत ताल मृदंगा अरु बाजत डमरू   II तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता   I भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पति करता   II भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी I मनवांछित फल पावत सेवत नर न...