कोकिला बहन और उनके पति महेशभाई शहर में रहते थे । दोनों में एक - दुसरे के प्रति प्रेम - भाव था , परन्तु महेशभाई का स्वाभाव झगडालू था । बोलने की तमीज ही न थी । लेकिन कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी , भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती । धीरे - धीरे उनके पति का धंधा - रोजगार ठप हो गया । कुछ भी कमाई नहीं होती थी । महेशभाई अब दिन - भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली । अब उनका स्वभाव पहले से भी अधिक चिडचिडा हो गया । एक दिन दोपहर का समय था । एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए । चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दल - चावल की मांग की । कोकिला बहन ने दल - चावल दिये और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया , वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखे । कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख मेरी किस्मत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन किया ।
भिलट बाबा प्रसिद्ध शिखरधाम नागलवाडी