Skip to main content

कैसा था अयोध्या में श्री राम मंदिर और किसने बनवाया था । How was Shri Ram temple in Ayodhya and who built it

भगवान राम की नगरी अयोध्या हजारों महापुरुषों की कर्म भूमि रही यह पवित्र भूमि हिंदुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।  यहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था। यह राम जन्म भूमि है।  इस राम जन्म भूमि पर एक भव्य मंदिर बना था, जिसे तोड़ दिया गया था।  आओ जानते हैं कि वह भव्य मंदिर किसने बनवाया और केसा था वह मंदिर। शोध अनुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईसवी पूर्व हुआ था। चैत्र मास की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।  

कैसा था अयोध्या में श्री राम मंदिर और किसने बनवाया था । How was Shri Ram temple in Ayodhya and who built it

पुरातात्विक तथ्य क्या कहते हे 

अगस्त 2003 में पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया था कि जहां बाबरी मस्जिद बनी थी, वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं।  भूमि के अंदर दबे खंबे और अन्य अवशेषों पर अंकित चिन्ह और मिली पाटरी से मंदिर होने के सबूत मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा हर मिनट की वीडियोग्राफी और उसे चित्रण किया गया। इस खुदाई में कितनी ही दीवारें फर्श और बराबर दूरी पर स्थित 50 जगह से खम्बो के आधारों की दो कतारे पाई गई थी। एक शिव मंदिर भी दिखाई गया।  जीपीआरएस रिपोर्ट और भारतीय सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट अब उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड में दर्ज है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने विवादित ढांचे के संबंध में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। न्याय मूर्ति धर्मवीर शर्मा न्यायमूर्ति सुदूर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति एस यू खान ने एकमत से माना कि जहां रामलला विराजमान है ,वही श्री राम की जन्म भूमि है।

कैसी थी अयोध्या नगरी 

अयोध्या पहले कौशल जनपद की राजधानी थी। वाल्मीकि कृत रामायण के बालकांड में उल्लेख मिलता है कि अयोध्या 12 योजन लंबी और 3  योजन चोड़ी थी। वाल्मीकि कृत रामायण में अयोध्या नगरी  का वर्णन विस्तार से किया गया है। रामायण में अयोध्या नगरी के सरयु तट पर बसे होने और उस नगरी के भाव एवं समृद्ध होने का उल्लेख मिलता है। वहां चोड़ी सड़के और भव्य महल थे। बगीचे और आम के बाग थे और साथ ही चौराहों पर लगने वाले बड़े-बड़े स्तंभ थे। हर व्यक्ति का घर राजमहल जैसा था। यह महानगरी 12 योजन चौड़ी थी। इस नगरी में सुंदर लंबी और चौड़ी सड़के थी। इंद्र की अमरावती की तरह महाराज दशरथ ने उसे पूरी नगरी को सजाया था।

क्या था जन्मभूमि का हाल

कहते हैं कि भगवान श्री राम के जल समाधि लेने के पश्चात अयोध्या कुछ काल के लिए उजाड़ सी हो गई थी, लेकिन उनकी जन्म भूमि पर बना महल वैसा का वैसा ही था। भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने एक  बार पुनः राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया। इस निर्माण के बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियां तक इसका अस्तित्व आखिरी राजा महाराजा बृजवाल तक अपने चरम पर रहा। कौशल राजा बृहदवल की  मृत्यु महाभारत युद्ध में अभिमन्यु के हाथों हुई थी। महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजाड़ सी हो गई मगर श्री राम जन्मभूमि का अस्तित्व फिर भी बना रहा।

किसने बनवाया भव्य श्री राम मंदिर

इसके बाद यह उल्लेख मिलता है कि ईशा के लगभग 100 वर्ष पूर्व उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य एक दिन आखेट करते-करते अयोध्या पहुंच गए। विक्रमादित्य को इस भूमि में कुछ चमत्कार दिखाई देने लगे। तब उन्होंने खोज आरंभ की और आस पास के योगी व संतो की कृपा से उन्हें ज्ञात हुआ कि यह श्री राम की अवध भूमि है। उन संतों के निर्देश से सम्राट ने यहां एक भव्य मंदिर के साथ ही कूप, सरोवर, महल आदि बनवाए। कहते हैं कि उन्होंने श्री राम जन्मभूमि पर काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभों पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की भव्यता देखते बनती थी।

किसने करवाया भव्य मंदिर का जीर्णोद्धार 

विक्रमादित्य के बाद के राजाओं ने समय-समय पर इस मंदिर की देखरेख की। उनमें से एक शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र शुंग ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। पुष्यमित्र का एक अभिलेख अयोध्या से प्राप्त हुआ था,जिसमें उसे सेनापति कहा गया है तथा उसके द्वारा दो अश्वमेध यज्ञ के किए जाने का वर्णन है। अनेक अभिलेखो से ज्ञात होता है कि गुप्त वंशीय चंद्रगुप्त द्वितीय के समय और तत्पश्चात काफी समय तक अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी थी। गुप्तकालीन महाकवि कालिदास ने अयोध्या का रघुवंश में कई बार उल्लेख किया है।

किसने दी गवाही की भव्य मंदिर था

इसके बाद कहते हैं कि चीनी भिक्षु फाह्यान ने यहां देखा कि कई बौद्ध मतों का रिकॉर्ड रखा गया है यहां पर 7 वीं शताब्दी में चीनी यात्री हवनसॉन्ग आया था। उसके अनुसार यहां 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे और यहां हिंदुओं का एक प्रमुख और भव्य मंदिर भी था। जहां रोज हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते थे। जिसे राम मंदिर कहा जाता था।

कब शुरू हुआ मंदिर का पतन 

इसके बाद ईशा की 11वीं शताब्दी में कन्नौज नरेश जयचंद आया तो उसने मंदिर पर सम्राट विक्रमादित्य के प्रशस्ति शिलालेख को उखाड़ कर अपना नाम लिखवा दिया। पानीपत के युद्ध के बाद जयचंद का भी अंत हो गया। इसके बाद भारतवर्ष पर आक्रांताओं का आक्रमण और बढ़ गया। आक्रमणकारियों ने काशी मथुरा के साथ ही अयोध्या में भी लूटपाट की और पुजारी की हत्या कर मूर्तियाँ तोड़ने का काम जारी रखा, लेकिन 14वीं सदी तक अयोध्या में राम मंदिर को तोड़ने में सफल नहीं हो पाए। विभिन्न आक्रमणों के बाद भी सभी विपदाओं को झेलते हुए श्री राम की जन्म भूमि पर बना भव्य मंदिर 14 वी शताब्दी तक बचा रहा। कहते हैं कि सिकंदर लोदी के शासनकाल के दौरान यहां मंदिर मौजूद था। अंतत 1527-28 में अयोध्या में स्थित भव्य मंदिर को तोड़ दिया गया और उसकी जगह बाबरी ढांचा खड़ा किया गया। कहते हैं कि मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के एक सेनापति ने बिहार अभियान के समय अयोध्या में श्री राम के जन्म स्थान पर स्थित प्राचीन और भव्य मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनवाई थी। जो 1992 तक रही। बाबरनामा के अनुसार 1528 में अयोध्या पड़ाव के दौरान बाबर ने मस्जिद निर्माण का आदेश दिया था।

Comments

Popular posts from this blog

Shree Bhilat Baba Ka Itihas in Hindi

बाबा भीलट देव भोलेनाथ के वरदानी पुत्रो में से एक वरदानी अवतार भी है । जैसे भगवान राम ने राक्षसो एवम राक्षस प्रवति का नाश करने के लिये जन्म लिया उसी तरह बाबा भिलट देव ने उस ज़माने के तांत्रिको और जादूगरों का नाश करने के लिए अवतार लिया । प्यारे भक्तजनों बाबा भिलट देव का जन्म आज से लगभग ७०० - ८०० वर्ष पूर्व वर्तमान में हरदा जिले के छोटे से कसबे में रोलगाव में हुआ था । बाबा की माता का नाम मेदा बाई और पिता का नाम एलण था उस ज़माने में राणाओ का अपना अपना एरिया था तथा एलण राना का पूर्व एरिया रोलगाव तक था । चुकी एलन राना की शादी होने के कइ वर्षो तक माता मेटा को कोई संतान नही थी इसलिए गावके लोगो द्वारा बाज्हपान का ताना सुनते सुनते दोनों दम्पति दे रोलगाव छोड़ने का मन बना लिया । दोनों दम्पति बाबा भोलेनाथ के परम भक्त थे कुछ गाव में अची महिलाओ के द्वारा यह कहा गया की मेदा तू तो माता पार्वती एवम् भोलेनाथ की बड़ी अची सेवा , पूजा और भक्ति कर...

Shri Rama Vandana Sanskrit hindi font

आपदामपहरत्ताराम दातारं सर्वसम्पदाम् I लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यमहम् II रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय मानसे I रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः II नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतसमारोपतिवामभागम I पाणौ महासायक चारु चापं नमामि रामं रगुवंशनाथम् II भवाब्धिपोतं भारताग्रजंतं भक्तप्रियं भानुकुल प्रदीपम्   I भूतादिनाथं भुवनाधिपत्यम् भजामि रामं भवरोग वैद्यम्   II लोकाभिरामं रणरंगधीरम् राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम   I कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्री रामचंद्रम् शरणं प्रपद्ये   II

Shree Ganesha Aarti in Hindi

गणेश जी को पार्वती जी का दुलारा कहा जाता है, गणेश जी को गजानंद के नाम से भी जाना जाता है यही कारण है कि समस्त भक्तजन इनकी दुःख हरता के नाम से आरती करते हैं| ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की आरती गाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं| श्री गणेश जी की आरती इस प्रकार हैं: जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा